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आकृति निदान करनेवाली लकीर होती है वह बिलकुल ही मिट जाती है। धीरेधीरे यह जगह विजातीय द्रव्यके समूहसे तो बिलकुल भर जाती है। (चित्र नं०२०-२४ और २५) सिर ऊपर की ओर चौड़ा होता जाता है और माथेमें चर्बी बढ़ जानेसे एक गद्दी सी बन जाती है।
चेहरेपर भी इस बादीपनका प्रभाव पड़ता है । पर ऐसी दशा. में विजातीय द्रव्य सिरके ऊपरी हिस्सेसे मीचेकी छोर चेहरेम आकर जमा होता है।
शरीरके पीछेवाले बादीपनके साथ लगभग सदा बवासीरका रोग होता है । इसका प्रभाव प्राय: कूल्हे श चूतड़पर ही पड़ता है, इसलिये रोगी लड़खड़ाकर चलता है।
पीछेकी-ओरबाले बादीपनकी दशामें जो तीव्ररोग होते हैं बड़े भयंकर होते हैं। प्रायः मौत के मुंहमें डाल देते हैं। रोगी के लिये इन बीमारियोंसे बचनेका सिर्फ एक उपाय है, कि मेरी बतलाई हुई विधिसे कई बार ठण्ढे पानीके स्नान कर लिये जायें और शरीरसे खूब पसीना निकाला जाय।
प्रायः ज्वरके साथ होनेवाली गहरी बीमारियाँ सिर्फ बच्चोंको होती हैं। जिन पुरुषोंको पीछेकी ओर बादीपनकी तकलीफ रहती है उन्हें बच्चोंकी अपेक्षा ऐसे रोग बहुत कम सताते हैं । ___ उन्हें शरीरके पीछेवाले बादीपनसे पैदा होनेवाले अन्य भयंकर रोग होते हैं। एक बार जब सिर बाबीपन आ जाता है तो नसोंकी कमजोरीके साथ-साथ स्मरण शक्तिकी कमजोरी, उत्
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