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आकृति-निदान क्या है भी बहुत अच्छी तरह दिखलाई पड़ सकती है। इसलिये सिर बदनके ऊपर सीधे बीचोबीच नहीं है। जिस ओर बांदीपन रहता है उस ओर वह लकीर साफ तौरपर नहीं दिखलाई देती जो जांघके पास टांग और धड़को जुदा करती है क्योंकि वहां अधि. कतर विजातीय द्रव्य जमा रहता है। सिर भी धीरे-धीरे एक ही ओरको बढ़ता हुआ दिखलाई पड़ता है। गरदन और सिर पर प्रायः गांठे भी पड़ जाती हैं चित्र नं० १८ देखिये । बालवाला बादीपन सिर मोड़नेके समय स्पष्ट दिखलाई पड़ता है। क्योंकि सिर मोड़नेमें गरदनके जिन्न भागमें बादीपन रहता है। वहाँ तनाव जरूर रहता है । प्रायः भलीभांति बटी हुई रस्सीकी तरह नसें भी उभड़ी हुई दिखलाई पड़ती हैं जिनसे यह स्पष्ट सूचित हो जाता है कि विजातीय द्रव्य किस ओरसे होकर गया है और किस ओर बना रहेगा।
बगल के बादीपनका परिणाम प्रायः सामनेके बादीपनकी अपेक्षा अधिक भयानक होता है, वह अधिक कठिनाईसे दूर किया जा सकता है । जिधर बादीपन होता है उधर धीरे-धीरे दातोंमें दर्द होने लगता है, दांत गिर जाते हैं। बगल और सामने दोनों ओरका बादीपन इकट्ठा हो जाने पर तो प्रायः कान बहरे हो जाते हैं। ऐसी दशा में कानोंतक सूजन दिखलाई पड़ सकती है। आंखोंपर भी इस बादीपनका प्रभाव पड़ता है, या काला मोतियाबिन्द पैदा हो जाता है। स्वाभाविक रूपसे यह मोतियाबिन्द सदा उसी भोर पहले निकलता है जिधर बादीपन होता है।
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