________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आकृति-निदान
१०६ चित्र ५-सामनेवाला बादीपन
सिर जैसा चाहिये वैसा ही है । माथेमें झुर्रियां पड़ी हुई हैं। आंखें स्वाभाविक ढङ्गकी हैं। नाक भी स्वाभाविक ढङ्गकी है। गालों में सिकुड़न पड़ी हुई है। मुँह स्वाभाविक प्रकारका है। उम्र के लिहाजसे चेहरा स्वाभाविक प्रकारका है, पर कानके नीचे चेहरेको गरदनसे जुदा करनेवाली लकीर बहुत पीछेकी भोर चली गयी है। गरदन सामनेकी ओर बढ़ी हुई है, पर गरदनके पीछे सिरसे गरदनको अलग करनेवाली लकीर स्वाभाविक प्रकार की है।
चित्र ६-स्वाभाविक आकृति
For Private And Personal Use Only