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पं.। अयुद्धम
गैरिका पोतो
शुहम माकाश्च का
कंग:
पउक्तो भागाः नवम् मृन्मय
भाग: नरवस्य मृण्मय | भास्य राला: वैपूल्यं, चैपूल्यं
६ मा॥ ६ हज ६ माहदा
छात्म
भाः स्यु
माकाः।। दूज माछ चान्मृ रुक महा लिक्षात
सीत
वैपुल्यं २ सित न्यानि
न्यानी
१३ /२/१लीक्षास्तु
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