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संस्कार ॥ १४७॥
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नं॥देवीमंजनसंकाशांचंद्रार्धकृतशेखरां ॥ सिंहारूढां जगद्धात्री कौमारी भक्तवत्सलां ॥ख भास्कर खेटंच विश्वाणामभयं वरदांतथा ॥ तारका हारभूषाट्यांचिंतयामिन वांशकां ।। १ ।। ॐ श्रीश्व॑तेलक्ष्मी ● ॥ १ ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः विघ्नेशजन्मदाषष्ठीदेवीजीवंतिकाभ्यो नमः ॥ ध्यायामि ॥ एवं सर्वत्र ॥ आगच्छ वरदे देविस्थाने चात्रस्थिराप्तव ॥ आराधयामिभक्त्या त्यांरक्षबलं चसूतिकां ॥ १ ॥ ॐ हिर॑ण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजां ॥ चंद्रां हिर ष्म॑यलक्ष्मी जात॑वेदोम॒माव॑ह ॥ ॥ ॐ भू० विघ्नेशाय • विघ्नेशंआ० ॥ जन्मदायै ॥१४७॥ षष्ठीदेव्यैनमः ॥ जन्मदांषष्ठीदेवी आवाह० ॥ ॐ शस्त्रगर्भाभगवत्यैनमः ॥ शस्त्रगर्भाभ
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