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संस्कार मभिभूतिपुष्यात्॥७॥ आन इन्द्रौदूरादान आसादमिष्टिरुदयसेवामदुम ॥ ओ- मास्कर ॥११॥ |जिष्टेभिर्नृपतिर्वज्जबाहुः सङ्गेसमत्सुतुचर्णिः पृतन्यून॥८॥ आनु: इन्द्रोहरिभिर्याल
छार्चाचीनोबसेराधसेचा।तिष्ठानिवज्जीमुधवाचिरप्सीमन्यज्ञमनोचार्जसानी॥९॥ वातारमिन्द्र० ॥१०॥ इमम्मैवरुणश्रुधीहवैमुद्यामृडय॥ खामवस्युराके ॥१९॥ न त्यायामि० ॥१२॥खन्नोऽअमे०॥१३॥ सत्वन्नो अग्ने०॥१४॥ उर्दुतमम्हरुण ॥१५॥ वरुणस्यो नम्भ ॥१६॥ मातरमिम्प्रातरिन्द्र हवामहेातर्मित्रावरुणापातभि|११|| न॥प्रातर्भगम्यूषणम्ब्रह्मणस्पतिम्पातःसोममुतद्रर्द ईवेम॥१७॥ भगप्रणेतर्फ
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