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संस्कार ॥८८॥
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स॒र्पेभ्यो॒ नमः॑ ॥ ८ ॥ राहुवामपार्श्वे ॐ भू० सर्पाइ ० इ० सर्पेभ्यो • सर्पान् आ० ॥ ॐ ब्र ह्य॑ज्ञा॒नप॑थ॒मम्पु॒रम्ना॒द्दिशी॑म॒तः सु॒रुचो॑वे॒न आ॑वः ।। सबुभ्या॒ उप॒माऽ अ॑स्यच्च ष्टा?स॒तश्व॒योनि॒मस॑नश्व॒वित्र॑ ॥ ९ ॥ केतुवामपार्श्वे ॥ ॐ भू० ब्रह्मन्द० ब्रह्मणेन ब ह्माणंआ० ॥ ॥ ततोविनायकादिपंचदेवताः वास्तोष्पतिक्षेत्रपालं चा बाहयेत् ॥ ॥ ॐ गुणानान्च्त्वा० ॥१॥ राहोतरतः ॐ भू० गणपते इहा० इ० ग० गणपतिं आ० ॥ ॐ अम्बे अम्बि्रके ० ॥ २ ॥ शनेरुत्तरतः ॐ भू० दुर्गे • इहा० दुर्गायै दुर्गां ० ॥ ॐ | आनो॑नि॒युद्भि॑ श॒तिनी॑भिरध्व॒रर्ट• स॑ह॒स्रिणी॑भि॒रुप॑याहिय॒ज्ञम् ॥ वार्यो अ॒स्मिन्स
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भास्कर
॥८८॥