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आचा०
सत्रम
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॥१०७४।
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ए प्रमाणे चे अणुकथी त्रण अणुक विगेरे हे. क्षेत्रमा एक प्रदेशमा रहेल तेनाथी के प्रदेश अवगाहमा रहेलं है, तथा काळथी एक समयनी स्थितिवाळाथी वे समयनी स्थितिवाळू विगेरे छे, भावथी क्रम पर ते एक गुण काळथी वे गणुं काळ विगेरे छे. ए। प्रमाणे बधा रंगमां जाणवू. ___"बहु पर" ते बहुपणे पर एटले एकथी बीजु बहु होय ते जाणवू जेमके
॥१०७४॥ जीवा पुग्गल समया दब्ध पएसा य पन्जवा चेव । थोबाणताणंता विसेसअहिया दुबेणंऽता ॥१॥ जीव साथी थोडा छे तेवी पुद्गला अनंतगुणा हे, तेनाथी समयो द्रव्यना प्रदेशो अने तेनां पर्यायो अनंत तथा विशेष अधिक | छ. फक्त बेमां अंनंतगणा छ. ..
प्रधानपर ते बे पगवानामां तीर्थकर ले तथा चोपगामां सिंह विगेरे अने अपदमा अर्जुन, सुवर्ण, फणस विगेरे झाडो छ, ए8 प्रमाणे क्षेत्रकाळ भाव पर विगेरेने पण तत्पर विगेरे छ प्रकारे क्षेत्र विगेरे प्रधानपणाथी पहेलांनी माफक पोतानी बुद्धिए योजवां
सामान्यथी तो जंबूद्वीपक्षेत्रथी पुष्कर विगेरे क्षेत्रो पर छे तथा काळ पर ते बरसादनी रुतुथी शरद रुतु हे, भावपर औदयि| कथी औपशमिक विगेरे हे. हवे मूत्रानुगममा मूत्र उच्चार, जोइए ते आ छे.
परकिरियं अज्झत्थिय संसेसियं नो तं सायए नो तं नियमे, सिया से परो पाए आमजिज्ज वा पमजिज वा नो तं सायए नो तं नियमे । से सिया परो पायाः संवाहिज वा पलिपदिज्ज वा नो तं सायए नी त नियमे । से सिया परो पायाई कुसिज्ज वा रइज्ज वा नो तं सायए नो नियमे । से सिया परो पायाई तिल्लेण वा ५० बसाए वा वा मक्खिन्ज
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