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विकृतिविज्ञान उपरलैष्मिक तन्तुरूप गर्भाशय की गुहा में ही अन्तश्छद के नीचे होने के कारण गर्भाशय के कार्यों में पर्याप्त विघ्न डाल सकते हैं। अपनी इस स्थिति में वे अकेले ही होते हैं तथा गर्भाशयसंकोचों के कारण नीचे की ओर चलने लगते हैं और गर्भाशयग्रीवा की सुरंग तक आ जाते हैं। यही नहीं, इनमें वृन्त या नाल बन जाते हैं जिनके कारण सुरंग में होकर योनि के अन्दर तक लटक जाते हैं । इस अवस्था में उनको तन्तुरूप पुर्वगक ( fibroid polyp ) कहा जाता है। योनि में आने पर शीघ्र या विलम्ब से इनमें उपसर्ग लग जाता है जिसके कारण आगे चलकर इनमें वणन तथा निर्मोचन (aloughing ) तक हो जाता है। इसी को आयुर्वेदज्ञ योनिकन्द कहते हैंपूयशोणितसंकाशं निकुचाकृतिसंनिभम् । जनयन्ति यदा योनौ नाम्ना कन्दः स योनिजः ।।
जब उपश्लेष्मल तन्तुरूप गर्भाशय गुहा में होते हैं तब उनके ऊपर का अन्तश्छद दबाव के कारण अपुष्ट हो जाता है और इस कारण उपसृष्ट भी हो जाता है। तन्तुरूप के किनारों पर वह बहुत मोटा और परमपुष्ट हो जाता है। इस कारण मासिकधर्म के समय बहुधा अधिक रक्तस्राव होता है तथा शेषकाल में श्वेत रंग का स्राव होता रहता है जिसे प्रदर ( leucorrhoea ) कहते हैं । इन परिवर्तनों से ऐसा ज्ञात होता है कि मानो स्त्रीमदि बाहुल्य (excessive production of oestrogens) का तन्तुरूपोत्पत्ति से कोई विशेष सम्बन्ध हो।
उपलस्य तन्तुरूप सदैव बहुत से होते है और यतः इन पर कोई दबाव (पीडन) पडता नहीं अतः इनका आकार चाहे जितना बढ़ सकता है । ये भी सवृन्त (pedun. culated ) होते हैं। यद्यपि अवृन्त भी मिल सकते हैं। इनकी स्थिति के कारण इनमें थोड़ा बहुत विमोटन (torsion ) हो सकता है। जिसके कारण इनकी रक्तपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो सकती हैं और इनमें विहासात्मक परिवर्तन मिल सकते हैं।
गर्भाशय की ग्रीवा की प्राचीर में बहुधा अकेला ही तन्तुरूप बना करता है। गर्भाशय ग्रीवा प्रायः स्थिर होती है । तन्तुरूप उपलस्य या अन्तरालित होता है। यह ग्रीवा सुरंग को व्याकृष्ट कर सकता है तथा प्रसवकाल में बाधा उत्पन्न कर सकता है। ____ सन्तुरूपों के कारण गर्भधारणा में निरन्तर बाधाएँ उत्पन्न होती हुई देखी जाती हैं । गर्भाशय की आकारवृद्धि होने से गर्भाशयान्तश्छद पर पीडनाधिक्य के कारण अपुष्टि होने से, तन्तुरूप में उपसर्ग हो जाने के कारण व्रणशोथात्मक उदासर्गों के द्वारा बीज या शुक्राणु के नष्ट हो जाने से, गर्भाशय के विकर्षण ( distortion ) से, या गर्भाशय नाल के फैल जाने से शुक्राणु और बीजाणु दोनों का सम्मेलन नहीं होने पाने से गर्भधारणा नहीं होती है। ___ यदि गर्भधारणा हो भी गई तो प्रतिक्षण गर्भपात की आशंका बनी रहती है। गर्भपात में दो मुख्य कारण हो सकते हैं जिनमें एक तो अर्बुदों की उपस्थिति के
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