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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृष्ठ पृष्ठ बाह्य अकारादिरोगानुक्रमसूची १०८७ विषय विषय पृष्ठ | विषय पृष्ठीय कार्य ५९९ प्रतीकारितास्थानिक १०३१ -फिरंग और सगर्भा ५८० पेक्रियाजको सर्वकिण्वी प्रभाव श्लेष्मलकला - सहज ५७९ ___ क्यों कहते हैं ? १३५ व्रणशोथ का २८ - और हृदय ६१८ पेशीपाक ५६ प्रमृताशन ९५९ - की चतुर्थावस्था ५९९ - अस्थिकर ५६ प्रमेह सम्प्राप्ति १०६८ - गर्भाशय पर प्रभाव ६२१ - प्रगामीतन्तुकर ५६ प्रलपन - चार अवस्था ५७८ पेशीरुहार्बुद ८४४, ८४५ प्रलाप ३७०, ३८३, ४१०, - द्वितीयावस्था पेश्यर्बुद अरेखित ८४४ प्रलेपक ज्वर ३६६ (विशेषताएँ) ५९१ - मारात्मक ८४५ प्रवाहिका ९८० - नासा पर प्रभाव ६१७ - रेखित ८४३ प्रविकिरण का कर्कट- - प्रकरण ५७५ पैगटामय(स्तनकर्कट)७८१ कोशाओं पर प्रभाव ६९४ - प्लीहा परप्रभाव ६१२ पैत्तव २३८ - रक्तवहाओं पर - फुफ्फुस पर प्रभाव ६१२ - वृद्धिकी दशाएं २३८ प्रभाव ७०० ५८५ पोषण में बाधा २२० प्रसमूहि १०३० --स्मरणीयतथ्य ५८९ पौटामय ५२३ प्रसमूहिजन २०३० - बहिरन्तर्भव ५९३ प्रक्षोभजीर्ण (कर्कटो- प्रसेक ३६७, ३९३ - भावमिश्र के त्पत्ति में) ६९४ प्राइसजोन्सवक्रता ८७२ __ मत से अवस्थाएँ ५७९ प्रकृतिसमसमवा प्रीत्यम्लपटूषणे ३१३ - मस्तिष्क सुषुम्ना ६२२ यारब्ध ४०६ प्लाहा फिरङ्ग का - मुख पर प्रभाव ६१४ प्रचलन कोशा २८६ प्रभाव ६१२ - यकृत् पर प्रभाव ६५६ -प्रोतिकोशाओं का २८९ । प्लीहा शोणांशिक - रक्तवाहिनियों पर प्रचलनासङ्गति ६२७ रोगोंकी जननी ९३३ प्रभाव ६०५ - (पश्च या पृष्ठ काय) प्लीहोत्कर्ष १२५ - लसमन्यिों पर लक्षणों के ७ समूह ६२८ प्लीहोदर सम्प्राप्ति १०६८ प्रभाव ६११ प्रतिद्रव्य विशिष्ट १०२९ प्लेग या वातालिका ४७१ - वातनाडीसंस्थान प्रतिरक्षा विशिष्ट प्लैहिकसिरा का उत्तर पर प्रभाव ६२१ उपाय १०२९ जात पाक १२५ - वृक्कपाक ६१९ - सामान्य उपाय १०२८ फल्गु - वृषणों पर प्रभाव ६२० प्रतिविषि १०२९ फानगी रोग २४६ - व्युत्पत्ति ५७५ प्रतिश्याय ८०,४०१ फिरङ्ग अवठुका ग्रन्थि - सङ्क्रमण के -कहाँ कहाँ पर प्रभाव ६१८ चार प्रकार ५७७ होता है? ४०१ - अवाप्त ५८५ - सन्धिज ६०३ --- अस्थि का ६०२ - स्वरयंत्र पर प्रभाव ६१२ -सम्प्राप्ति १०६८ - अस्थि ६०० फिरङ्गार्बुद किलाटीय प्रतीकारिता १०२१ - आभ्यन्तर ५९० यचमाम ५९६ - अहींनियस एण्ड - ओष्ठ पर प्रभाव ६१४ - ध्यान देने मदसेन वाद १०३४ - और आमाशय ६१८ योग्य बातें ५९८ - आधुनिकवाद १०३६ - - उपदंश में भेद५७५ फिरङ्गार्बुद ५९३, २९५ -- जानपदिक १०३६ --जिह्वा ६१४ । फिरङ्गार्श ५९१, ५९२ १०३४ | - - महास्रोत ६१५ । फुफ्फुस अतिरक्तता २८३ ४२६ For Private and Personal Use Only
SR No.020004
Book TitleAbhinav Vikruti Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuveerprasad Trivedi
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1957
Total Pages1206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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