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अभय-रत्नसार ।
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वर्णन भली भाँति पढ़ कर व्यवहारमें लाना चाहिये । यदि वे नीचे लिखी बातोंकी ओर ध्यान दें तो अपना पराया सबका कल्याण कर सकती हैं ।
१ - सूर्योदयके पहले कभी चूल्हा नहीं जलाना । पहले सारा घर झाड़-बुहार करके तब कोई काम शुरू करना चाहिये ।
२ - प्रति दिन सवेरे घर-द्वारकी सफाई और वर्तनोंकी मंजाई धुलाई होनी चाहिये । लकड़ी आदि भी ख़ास करके बरसात में, देख लेनी चाहिये। क्योंकि अकसर उसमें जीव पड़ जाते हैं, जो बिना देखे जल जा सकते हैं।
३- रसोई करके वर्तन बासन तथा घी, मसाला, तेल, दूध, दही, रोटी, पूरी, पानी आदिके वर्त्तन खले नहीं रखने चाहिये । उच्छिष्ट पदार्थको तो तुरंत हटा देना चायिये, नहीं तो उसमें बहुतसे संमूच्छिम जीव पड़ जाते हैं।
नमक और मसाले भरसक शीशे के बर्तनों में रखने चाहिये । बरसात में मिर्च में तो वैसे ही जीव पड़ जाते हैं और कहीं भूल से बिना देखे - भाले खानेकी चीज़में वह मिर्च डाल दी, तो जीवहत्याका पाप अलग लगे । शाक या दालमें डालनेके पहले मसाला, वाय दूधमें डालने के पहले चीनी, दाल, शाक, रोटी के साथ काममें लाने के पहले घी भली भाँति देख लेना चाहिये ।
५ - शाम को सूर्यास्त के पहले ही चूल्हा ठंडा कर देना चाहिये । बासी चोजें तो न कभी खुद खानी, न बच्चोंको खिलानी । इससे धार्मिक ही नहीं शारीरिक लाभ भी है ।
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