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६६० भक्ष्याभक्ष्य विचार । लिये ये सब अभक्ष्य हैं। दुष्काल पड़नेपर अन्न न मिले, तोभी विवेकी पुरुष इन्हें न खावे।
६, मधू ७ मदिरा ८ मांस , मक्खन, इन चारों वस्तुओंका जैसा रंग होता है, उसी रंगके असंख्य जीव इनमें निरन्तर उत्पन्न होते रहते हैं। इस लिये ये भी अभक्षय हैं-ये चार 'महाविगइ' कहलाते हैं।
मधु।-मधुमक्खियाँ या भौंरे अपने भोजनके लिये जो मधु या शहद जमा करते हैं, उन्हें ही नीच जातिके लोग धुआँ दिखा कर या मारकर, चुरा लाते हैं। बेचारे असंख्य जीव मारे जाते हैं। तिस पर मधुमें भी बहुतसे जीव पैदा होते रहते हैं, इसलिये जिह्वाके स्वादके लिये तो क्या कहना, औषधके लिये भी इसे नहीं खाना चाहिये । इसे खानेसे नरक-गति प्राप्त होती है। मदिरा ।--इसका तो सर्वथा त्यागही करना उचित है। अंग्रेजी दवाओंमें ज़रूर स्पिरिट (दारू) पड़ती है, इसलिये उन्हें भी नहीं खाना चाहिये।
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