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अभय रत्नसार ।
६६१
दूजो पू
२ ॥
पद
तेरम भो ए ॥ १३ ॥ बिंदुसार १४ इण नाम, चवदे ए कला, शास्त्र थकी में संग्रह्मा, ए ॥५॥ ढाल २ ॥ श्रीविमलाचल शिर तिलो ए देशी ॥ उत्पाद पूर्व सोहामरो कोटी पद परिमाण । पट भाव प्रगट छै ते जिहां, त्रिपदी भाव विना ॥ १ ॥ सर्व द्रव्य पर्यायतो, जीव विशेष प्रमाण । अग्रायणी, छिन्नु लख पद जाण ॥ लख सत्तर जेहनी, संख्या परगट एह । वीर्य प्रबलता जीवनी, भाषी तीजै तेह ॥ ३ ॥ चोथे पर्चे जे कह्यो, अस्ति नास्ति प्रवाद । पद संख्या साठ लाखनो, सप्तभंगी स्याद्वाद ॥ ४ ॥ ग्यान प्रवाद पद पंचमो, सूत्र आयो जोड । मत्यादिक परण भेदसुं, पद संख्या इक कोडि ॥ ५ ॥ सत्यत्रत्राद छडा कहूं, भापुं सत्य स्वरूप । संख्या पद इक कोडनो, भाषा आगम अनूप ॥ ६ ॥ नित्यानित्यपणो इहां, आतम द्रव्य स्वभाव । छवीस पद कोड जेना, सूत्र आगपा
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