________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अभय रत्नसार ।
६४७
इम महिमा रोहणतणी, श्रीग्यानी गुरु परकासे रे ॥ चित्रसेन ने रोहणी, वासुपूज्य तीर्थकर पासे रे ॥ इ० २१|| इस परि रोहण आदरी, ऊपर ऊजमणो कीधो रे ॥ चित्रसेनने रोहणी, मन सूध संजम लीधो रे ॥ इ० २२ ॥ आठ पुत्र आदरी, दिख्या बारम जिन आगे रे ॥ वलि नानाविध तप तर्फे, धरमतणी मति जागे रे || ३०२३॥ करि असण आराधना, लहि केवल शिवपद पाया रे || जिन वाणी आणी हिय, प्रभु चरणां चित लाया रे || इ० २४ ॥ मनमोहन महिमा नीलो, में तवियो शिवपुरगामी रे ॥ मन मान्या साहिबतरणी, वि पुन्य सेवा पामी रे ॥ इ० २५ ( कलश ) ॥ इम गगन दुग मुनि चन्द्र वरसे ( १७२० ) चोथ श्रावण सुदि भली ॥ में कही रोहतगी महिमा सुगुरु मुख जिम सांभली ॥ वासुपूज्य अमने थया सुप्रशन चित्तनी चिन्ता टली, श्रीसार जिनगुण गावतां हिव सकल मन आस्या फली ॥२८॥ इति रोहणी तप स्तवनम् ॥
i
2
For Private And Personal Use Only
P