________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अभय रत्नसार। ६३७ बोले । सारा दिन तपस्याकी गुणावलोके वर्णनमें व्यतीत कर । पारण करनेके दिन देव-दर्शनपूजन करके यति-मुनिको अहार दे कर बाद पारण कर। ___ अन्तमें किसी तरहको धार्मिक क्रिया न कर सके तो देव-पूजन, अंग-रचना करवा कर मन्दिरमें गाना-बजाना करे । और शुभ भावना भावे । तपस्याके पदके अनुसार गुण-भेद संख्या-प्रमापासे काउसम्ग करे । तपस्याके गुणोंको स्मरण कर उतने ही खमासमण दे कर वन्दना करे। बाद तपस्याके गुणोंकी उदात्त स्वरसे स्तवना करें, और प्रसन्न-चित्त रहे। ___वीस स्थानक-गुणना और काउसग्ग प्रमाण ।
(१) “मो अरिहंताणं” इस पदकी २० वीस माला गिन कर १२ बारह लोगस्सका काउसग्ग करे। (२) “णमो सिद्धाणं” इस पदकी वीस माला गिन कर १५ पनरह लोगस्सका काउसग्ग करे। (३) "णमो पवय
For Private And Personal Use Only