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अभय रत्तसार। ६२१ पढ़ और बाकोके सब सुनें। जिन्होंने रात्रिपौषध न किया हो, वे पौषध और सामायिक पार करके 'शान्ति' सुनें। तपस्या-स्तवन और विधिये ।
॥ पखवासा-तपका स्तवन ॥ सीमंधर करजो मया-ए देशी ॥ जंबुद्वीप सोहामणो, दक्षिणभरत उदार । राजग्रही नगरी भली, अलिकापुर अवतार ॥१॥ श्रीमुनिसुव्रत स्वामिजी, समरंता सुख थाय।मनवंछित फल पामियै, दोहग दूर पुलाय॥ श्री० २ ॥राज करै तिहां राजियो, सुमित्र नरेसर नाम । पटराणी पद्मावती, शीलगुणें अभिराम ॥ श्री० ३॥ श्रावण उज्वल पूनमें, श्रीजिनवर हरिवंश ।माताकुक्षि सरोवर, अवतरियो राय हंस ॥श्री० ४॥ जेठ पढम पक्ष अटुमी, जायो श्रीजिनराज । जन्ममहोच्छव सुर करे, त्रिभुवन हरख न माय॥ श्री० ५ ॥ शामल वरण सोहामणो, निरूपम रूप निधान । जिनवर लंछन काछबो, वीस धनुष
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