________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२६५
अभय रत्नसार । ज०॥ मु०॥ दीनदयाल दया कर दीजै, सुध समकित सह नाणी रे॥ ज० ॥ सुगुण सेवकना वंछित पूरो, तेहिजगुणमणि खाणी रे ज० ॥१० ।मु०॥ वर्ष अठारै गुणतालोस, ज्येष्ठ सुदी सोमवारो रे ॥ ज०॥ लालचंद प्रतिपद दिन भेट्या, बीकानेर मझारो रे ॥ ज० ११ ॥ मु० ॥
॥ महावीरस्वामी को स्तवन । ॥ वीर सुणो मोरी वीनती, करजोड़ी हुँ कहुं मननी वात ॥ बालकनी पर वीनवं, मोरा स्वामी हो, तूं त्रिभुवन तात ॥ वी० ॥१॥ तुम दरशण विन हूं भम्यो, भव माहे हो स्वामी समुद्र मझार ॥ दुक्ख अनंता में सह्मा, ते कहितां हो किम आवे पार ॥ वी० ॥२॥ पर उपगारी तूं प्रभू, दुख भंजे हो जग दीनदयाल ॥ तिण तोर चरणे हूँ आवियो, सामी मुझने हो निज नयण निहाल ॥ वो० ॥३॥ अपराधी पिण ऊधस्या, तें कीधी हो करुणा मोरा स्वांम ॥ हुँतो
For Private And Personal Use Only