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पख्खीसूत्र |
१६७
इमे ॥ ४ ॥ इच्छापुच्छायगेहीय कंखालोभेश्रदारुणे परिग्गहस्स वेरमणे सवुत्त इक्कमे ॥ ५ ॥ दंसणनाणचरित अविराहित्ताठिओोसमणधम्मे पढमंवयमगुरख्खे विरयामोपागाइवाया ॥ ६ ॥ दंसणनारणचरितं विराहिताठि समणधम्मे बीयंवयमगुरखे विरियामोअलियवयणा ॥ ७ ॥ दंसणनाणचरित्त श्रविराहित्ताठिओसमणधम्मे तइयंवयमगुरखखे विरियामोअदिन्नादाणा ॥ ८ ॥ दंसणनाणचरित विराहित्ताठिओसमणधम्मे चउत्थंवयमगुरख्खे विरयामोमेहुणा ॥ ६ ॥ दंसणनाणचरित विराहित्ताठिओसमराधम्मे पंचमंवयमपुरख्खे विरियामोपरिग्गहा ॥ १० ॥ दंसणनाणचरितं विराहित्ताठिओोसमणधम्मे छट्टु वयमपुरखे विश्यामोराईभोयणा | ११ | आलिय विहारसमित्रो जुत्तागुत्तोठियोसमरणधम्मे पढमंवयमणुरखखे विरियामोपागाइवाया | १२|
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