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पख्खीसूत्र।
१८६ पंचेदिओवसट्टणं पडिपुण्णभारियाए सायासोख्ख मणुपालयंतेणं इहवाभवे अन्नेसुवा भवग्गहणेसु मेहुणंसेवियंवा सेवावियंवा सेविज्जंतोवा परेहि समणुन्नाओ तं निंदामि गरिहामि तिविहं तिविहणं मणेणं वायाए काएणं अइयं निंदामि पडप्पन्नंसंवरेमि अणागयं पञ्चक्खामि सव्वं मेहुणं जावजीवाए अणिस्सिोहं नेवसयंमेहु णंसेविज्जा नेवन्नेहि मेहुणंसेवाविज्जा मेहुणंसेवंतेवि अन्नं न समणुजाणामि तंजहा अरिहंतसक्खियं सिद्धसक्खियं साहुसक्खियं देवसक्खियं अप्पसक्खियं एवं हवइ भिक्खूवा भिक्खूणीवा संजय विरय पडिहय पञ्चख्खाय पावकम्मे दियावा राओवा एगओवा परिसागोवा सुत्त वा जागरमाणेवा एसखलु मेहुणस्सवेरमणे हिए सुहे खमे निस्सेसिए आणुगामिए पारगामिए सब्वेसिंपाणाणं सव्वेसिंभूयाणं सवेसिंजीवाणं सबेसिं सत्ताणं अदुक्खणयाए असोयणयाए अजूरण
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