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श्री वीतरागाय नमः |
अभयरत्नसार
सम्पादक
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परम पूजनीय पूज्यपाद, प्रातःस्मरणीय, वृहद् (वड़) गच्छीय, श्रीपूज्य जैनाचार्य श्रीचन्द्रसिं हसूरिजी के शिष्य - रक्ष
पण्डित काशीनाथजी जैन
प्रकाशक
दानमल शंकरदान नाहटा बीकानेर ( मारवाड़ )
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प्रथमावृत्ति २००० ] बीर सं० १६५४ [ मूल्य अमूल्य
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