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पुराण : इतिहास
आकार (से० मी०)
पंक्ति | अक्षर दशा/परिमाण पृ०सं०
विशेष विवरण
प्र० पृ० प्र० पं० (अनु० छन्द में) लिपिकाल |
____११
३० x १५
| १४ | २० | ३८ | अपूर्ण/३३३
२५४१०
२ ३८ | ११ | २० | अपूर्ण/ १६३६
२०७०x१४.५ । १
-
- पूर्ण/कुण्डल्याकार १८वीं शती
सचित्र
३१४१५
२०८४ ८४० | अपूर्ण/२०८४० | १८६९ वि०
सटीक
३७४२०
३ ८२ | ११ | ४३ | अपूर्ण/५६४६ ।
।
नारद और महादेव-सम्वाद के माध्यम से देवीमाहात्म्य का प्रतिपादन ८१ अध्यायों में किया गया है । यह एक नूतन कृति-सी प्रतीत होती है-यह न तो प्रसिद्ध श्रीमद्भागवत हैं और न देवीपुराण ही
३५४ १५.४
। ३८ | १० | ३६ | अपूर्ण/४२१
३२४१४
| ४८ | अपूर्ण/५६७
२९.५४१३
| ४६ | अपूर्ण/७७९७
३०४१६.५
| अपूर्ण/१५८९
श्रीधरस्वामीकृत टीका सहित भागवतपुराण के प्रथम पांच स्कन्ध प्रतिपादित हैं-द्वितीय स्कन्ध भीखण्डित है। दशम स्कन्ध का सटीक,८७वाँ अध्याय पूर्ण एवं ८८वें के केवल पाँच श्लोक
३७.४४१७.३
१५ | ५२ | अपूर्ण/८७७
२५.२४११
१६८ | १० | ३६ | अपूर्ण/११००
३४४१५.५ । १२९५/ १४ | ५० | अपूर्ण/२८३२८ १८३७ वि०| इसमें भागवत पुराण के छठे से १२वें
१७०२ शक | स्कन्ध तक के अंश संगृहीत है । साथ
में श्रीधरस्वामी की 'भावार्थदीपिका' टीका भी है