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पुराण : इतिहास
विशेष विवरण
आकार
अक्षर दशा/परिमाण
लिपिकाल (से० मी०)
प्र०पं० (अनु० छन्द में) ८ (क) ८(ख) ८(ग) ८ (घ) १५४११.५ ३
१९०६ (मीति ज्येष्ठ १
बुधवार) १६.५४१०.२ / १२ / ३ | ८ |
1/१२ GUTZ
FIR
१८.५४१४
पूर्ण/१०
१०.२४६.६
| पूर्ण/१२
| अपूर्ण /२.५ | १८७६ वि०
२५४३०
अपूर्ण/१०
३५४१८
१८ | ४५ / पूर्ण/१४५०२
१२ स्कन्धों में पूर्ण देवी के विराट स्वरूप एवं महान् चरित का गान करने वाला पुराण है। साथ में नीलकण्ठ की तिलकाख्य व्याख्या भी है
३४४१७
88० । १३ ।
अपूर्ण/१९३०५
-
३५४३८
| पूर्ण/३७००
सप्तमस्कन्ध तक नीलकण्ठविरचित तिलक-टीका सहित
३५.६४१८.२ | २९
अपूर्ण/५२२
सटीक
३०४१५
| अपूर्ण/९६३ । १८९६ वि०
(सावन पु०) पूर्ण/५०३०८ | १८९९ वि० ६८ अध्यायों में पूर्ण पद्मपुराण उप
निबद्ध है
३०x१६
४२४१६
५ ६८ | १० | ६८ | पूर्ण/११६९५ । १८९१ वि० १३२ अध्यायों का एक प्रसिद्ध विष्णु
परक पुराण है । ग्रन्थ दीमक लग जाने से जीर्ण हो गया है