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वैविक : संहिताएं और साहित्य
आकार (सें. मी.) ८ (क)
प्र०सं०
विशेष विवरण
पंक्ति अक्षर दशा/परिमाण लिपिकाल .
प्र० पृ०प्र०५० (अनु० छन्द में) (ख) (ग) ८ (घ)
९ | पूर्ण/१६
२१.५४१४
२४४१२
| पूर्ण/७२
| प्रसिद्ध उपनिषद् महावाक्यों का व्याख्यान
३४४१४
| अपूर्ण/५७०
मीमांसा दर्शन का एक प्रचलित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस दर्शन के सभी विषयों का संक्षिप्त विवेचन इसमें हुआ है। महर्षि जैमिनि प्रणीत पूर्व मीमांसा सूत्रों का मूलपाठ संगृहीत है
२६४११
| पूर्ण/४७५
१७४१२.५
| पूर्ण/२५ .
३०.६४१४.३ | ३४ | ११ | ३७
पूर्ण/४३२
२९४११
| अपूर्ण/९०
२२४११
| पूर्ण/९४८
| १७९२ वि० | १० प्रकरणों में शाके १६५७ निरूपण
सटीक वेदान्त
२२४११
पूर्ण/३७७
२४४१३
पूर्ण/२२५
१७९२ सं० | वेदान्तविषयक दस प्रकरणों में पूर्ण इस (आषाढ़ कृष्ण ग्रन्थ की टीका भी इसमें समुपलब्ध है पक्ष नवमी) | १७६५ वि० दश प्रकरणों में पूर्ण एवं सुचारु आश्विन सुदि ४ मंगलवार)
सुचारु
२२४९.७
पूर्ण/३३०
३०x१३.५
४० पूर्ण/६८७
| १८३१ वि० | दस प्रकरणों में संस्कृतटीका सहित (माघ सुद्धि ५ रविवार)
२९४११.५
२८ | 4 | २४ | पूर्ण/१०५