________________
वैविक : संहिताएं और साहित्य
विशेष विवरण
आकार • (सें० मी०) _____८ (क)
| अक्षर दशा/पारमाण लिपिकाल
प्र० पं० (अनु० छन्द में) (ख) ८ (ग) ८(घ) ___ ९
अपूर्ण/१३३
१३४१४
३१४२०.५
अपूर्ण/३६६
'महाभारत' के अंश 'विष्णुसहस्रनाम' की व्याख्या की गई है
१६४११.५
| पूर्ण! १२८
बादरायण प्रणीत प्रसिद्ध वेदान्त सूत्र मूलरूप में समुपलब्ध है।
१८४६
७ | २० | अपूर्ण/१३
३५४१८
१५
४३
अपूर्ण/५०३९
बादरायण कृत ब्रह्मसूत्रों पर वृत्ति है। इसका आदि भाग खण्डित है। प्रथम अध्याय के आकाश लिंग प्रकरण से ग्रन्थ उपलब्ध है, अन्त में प्रकरणादि
की संख्या दी गई है १७१२ वि० १३ विरचनों (अध्यायों) में भग(फाल्गन वदि वद्भक्ति का विवेचन
६ सोमे)
३२४१७.५
१५.९४११
१४ | ३२ | अपूर्ण/१६८
१६४१०
| पूर्ण/११
। १८४९ वि०
२७४१६
पूर्ण/१४८.५
२७४१६
पूर्ण/१९८
३४४१२
| पूर्ण/१०९५
२५.५४१०
| अपूर्ण/३२९०
२५.५४१०
६९ | १० | ५६ | अपूर्ण/१२०७.५
-