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वैदिक : संहिताएं और साहित्य
आकार (से. मी.)
विशेष विवरण
____८ (क)
पंक्ति अक्षर दशा/परिमाण | पृ० स०प्र० प्र०प्र०५० (अनु० छन्द में)| "
लिपिकाल (ब)
| १० पूर्ण/१८.
१०४८
१४:४४१८.६ ।
पूर्ण/६५
१८८८ वि० (फरवरी २)
१४४११
पूर्ण/३०
१९५३ वि०
१६४८
पूर्ण/९
२३४१३
६ | २० | अपूर्ण १७७०
१९४१२
| ४१६ ५ १८ पूर्ण/११७० ।
१६९० वि.
इसमें वाजसनेय संहिता के प्रारम्भ के २ पाठों से खण्डित केवल १९ अध्याय मात्र दीर्घपाठ में समुपलब्ध है यह शक्लयजुवंदीय संहिताकाएक पर्याप्त प्राचीन हस्तलेख है ४० अध्यायों में पूर्ण यह वैदिक संहिता, संहितापाठ में समुपलब्ध है शुक्ल यजुर्वेद संहिता/सोलह अध्याय सस्वर चिह्न, शेष बिना चिह्न के
२१४१२
८ | २० | पूर्ण/२१९०
१८२२ वि०
२३४११
पूर्ण/११५४
| इसके ४. अध्यायों में पूर्ण शुक्ल यजुर्वेदीय वाजसनेय संहिता लिपिबद्ध है स्वरों के चिह्न नहीं लगे हैं। यहाँ शुक्ल यजुर्वेद संहिता के बीस अध्याय हैं मन्त्र स्वर-चिह्नों से अंकित
२५४११
| २६ | पूर्ण/२०१५
२३. ९४१०
| २५ | पूर्ण/१२८९
१८५५ वि०
२५४११
| अपूर्ण/७७०
यह शुक्ल यजुर्वेद माध्यंदिन शाखा की संहिता है मन्त्र स्वर-चिह्नों से अंकित हैं ग्रन्थ ४० अध्यायों में पूर्ण है यह शक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिन शाखाकी वाजसनेय संहिता है इसमें उसके ३० अध्याय तक समुपलब्ध हैं यह 'जटा पाठ' में लिखी गयी प्रसिद्ध शुक्ल यजुर्वेदीय वाजसनेय संहिता है
२५४१२.५
। १२५/ १० / ३३ | अपूर्ण/१२८९
२४४१०
२ ६८
८
२४ | पूर्ण/१६०८
१८.२ बि. (शाके १६६६)