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Ends.- fol. 78a
कालाग्निरुद्रोपनिषद्
No. 638
देहं त्यक्त्वा शिवसायुज्यतामेति न च पुनरावर्तते न च पुनरावर्तते इत्याह भगवान्कालाग्निरुद्रः १
इत्यथर्ववेदे कालाग्निरुद्रोपनिषत्समाप्ता ॥ ४७ ॥
Begins. — fo.. 2500
Upanisads
Size.-61 in. by 31 in.
Extent. - 25ob to 2524 leaves ; 7 lines to a page ; 20 letters to a line. 184 (1) Mundakopanisad. 1880-81
Description.- See No.
Ends. fol. 2524
अथ कालाग्निरुद्र भगवंतं सनत्कुमारः पप्रच्छानीहि भगवंस्त्रिपुंड्र विधिं स तत्वं किं द्रव्यं कतिप्रमाणं etc.
[ 638.
Kalagnirudroanpisad 134 (47)
1880-81
कालाग्निरुद्रोपनिषद्
No. 639
स सर्वेषु तीर्थेषु स्नातो भवति देहं त्यक्वा शिवसायुज्यतामेति न च पुनरावर्त्तते न च पुनरावर्त्तत इति श्राह भगवान्कालाग्निरुद्रः ॥
इत्यथर्ववेदे कालाग्निरुद्रोपनिषत्संपूर्ण ॥ ४७ ॥
Kalagnirudropanisad
27 (47)
1895-98
Size - 102 in. by 5g in.
Extent. — 84 to 84b leaves ; 12 lines to a page; 35 letters to a line.
-
Description. See No.
27 (1) 1895-98
Mundakopanisad.
Begins. fol. 844
'अथ कालाग्निरुद्रं भगवंतं सनत्कुमारः पप्रच्छाधीहि भगवंस्त्रिपुंड्र विधिं संतत्वं किं द्रम्य कतिप्रमाणं etc.