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595.]
Upanişads
379
Ends.— fol. 46
तद्विष्णोः परमं पदं सदा पश्यंति सूरयः ॥ दिवीव चक्षुराततं तद्विप्रासो विपन्यवो जागृवांसः समिधते ॥ विष्णोर्यत्परमं पदं ॥.
ॐ सत्यमित्युपनिषत् ॥ इति पैंगलोपनिषत्समाप्तः ॥ श्रीमद्विश्वाधिष्ठानपरमहंससद्रुरामचंद्रार्पणमस्तु ॥१५॥
श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥ चतुर्थोध्यायः ॥४॥७॥७॥ References.-. See No. 592.
प्रणवोपनिषद्
Praņavopanişad No. 594
18 (3)
1916-18 Size.-98 in. by 5g in. Extent.- 2 leaves; 11 lines to a page ; 25 letters to a line. Description.- Country paper ; Devanagari Characters; handwriting
bold, clear, legible and uniform ; complete, Begins.- fol. 1
ॐ नमो ब्रह्मादिभ्यो ब्रह्मविद्यादिसांप्रदायकर्तृभ्यो वंषऋषिभ्यो नमो
गुरुभ्यः ॥ ॐ सर्वोपप्लवरहितप्रत्यगर्थों ब्रह्मैवाहमस्मि etc. Ends.- fol. 2
य एवं वेद । नमस्तस्मै प्रणवाय नमो नमस्तस्मै प्रणवाय नमोनम इति ॥ १॥
सहनाववतु सह नौ भुनक्तु सहवीर्य करवावहै ॥
तेजस्विनावधितमस्तु मा विद्विषावहै ॥ ॐ शांति शांति शांतिः॥ शुभं भवतु ॥७॥
प्रश्नोपनिषद्
Prasnopanişad
487 (4). No. 595
18882-83 Size.— 91 in. by 5% in. Extent.- 1 to s leaves; I4 lines to a page; 28 letters to a line.
487 (1) TRavhavopanisad, Description. Dee No 1882-83 Savasyopanigaun