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Begins.— fol. 132b
बुद्धात्मा परमो हंसस्तस्योपनिषदुच्यते etc. as in No. 576.
Ends. – fol. 138
नारायणेन रचिता जीवन्मुक्तिविवेकतः श्रुत्यर्थपा परमहंसोपनिषद्दीपिका
इति परमहंसोपनिषद्दीपिका समाप्ता ६
पाशुपत ब्रह्मोपनिषद्
No. 578
Upanisads
Ends.- fol. 3b
[ 577.
Size.9 in. by 518 in.
Extent. foll. rb to 3b ; 16 lines to a page; 38 letters to a line.
Description.— See No.
487 (1). 1882-83.
īśavāsyopanisad.
Begins.— fol. 1b
Pasupatabrahmopanisad 487 (77).
1882-83.
श्रीमद्विश्वाधिष्ठान परमहंससद्गुरुरामचंद्राय नमः ॥ ॐ भद्रं कर्णेभिरिति शांतिः ॥
अह ह वै स्वयंभूर्ब्रह्मा प्रजा सृजानीति कामकामो जायते । कामेश्वरो वै श्रवणः । वैश्रवणो ब्रह्मपुत्रो वालखिल्य स्वयंभुं परिपृच्छति । जगतां का विद्या का देवता। etc.
पाशुपत ब्रह्मोपनिषद्
No. 579
ब्रह्मविज्ञानसंपन्नः प्रतीतमखिलं जगत् ।
पश्यन्नपि सदा नैव पश्यति स्वात्मनः पृथगित्युपनिषत् ४५ भो श्रीमद्विश्वाधिष्ठानपरमहंससद्गुरुरामचंद्रार्पणमस्तु ॥ पाशुपत ब्रह्मोपनिषत्समाप्ता ॥ References. Auf. Cat. Catalo. I, 3366; II 75a; III 72a.
Printed under Yoga upaniṣads. Edited by Pt. Mahadeva Sastri, Adyar, 1920.
Pasupata brahmopanisad
3 (11).
1902-1907.
Size— 12 in. by 5g in.
Extent.— foll, 1© to 3b ; 13 lines to a page ; 45 letters to a line,