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324.] Upanisads
217 Description.- Country paper; Devanagari characters; hand-writ
ing bold, clear, legible and uniform ; borders ruled in triple red lines and edges in single ; folios numbered
in right-hand margins ; complete. Age.- Samvat 1857. Begins.- fol. "
॥ श्रीगणेशायनमः। तत्र कृष्णः कस्मान् ऋषिवाचकः शब्दोनश्वनिर्दत्तिवाचकः तयोरैक्यं परं ब्रह्म कृष्ण इत्यभिधीयते ।।
ॐ सच्चिदानंदरूपाय कृष्णायाक्लिष्टकारिणे ॥
नमो वेदांतविद्याय गुरवे बुद्धिसाक्षिणे ॥१॥ etc Ends.- fol. 136
- ईशानाय नमो ब्रह्मणे नमः सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमो दत्वा स्तुतिपुण्यतमा ब्रह्मणे स्वरूपिणे ॥
कर्तृत्वं सर्वलोकानामंत ने बसूवशः॥ ब्रह्मणे ब्रह्मपुत्रेभ्यो नारदाहं श्रुतं तथा ॥ प्रोक्तानुगाः सर्वे गच्छध्वं मुनयोतिकं गच्छध्वं मुनयोंतिकं ॥ ५॥२॥
हात अथर्ववेदशाखायो गोपालोत्तरतापनी संपूर्ण ॥ समाप्तम् ।। संवत १८५७ ना द्वितीय ज्येष्ट विद सप्तम्यां एरौ लिषावितमिदं पंचोलीमोहनजी तस्यात्मज रामकृष्ण स्वपठनाथ ॥
सांबशिवः प्रसन्नो भूयात् ॥ कल्याणमस्तु ।। भीरस्तु ।। शुभं भवतुः॥ ५ ॥५॥ References.- See No. 312....
गोपीचन्दनोपनिषद
Gopicandanopanişad No. 324
- 1892-95.. Size.-8 in. by 4g in. Extent. - 6 leaves ; 8 lines to a page ; 30 lettėrs to a line. Description. - Country paper ; Devanagari Characters; hand.
writing bold, clear, legible and uniform ; borders ruled in
double red lines; complete. Age.- Sanvat 1845.
28 [Upanigada]