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789]
Begins fol- 10
Ends. - fol. 75a
Dharmasastra
श्रीगणेशाय नमः ॥ rकचटतपायौधैः सप्तभिर्वर्णव्रजै
पादमध्याख्य हृत्वा । सकलजगदधीशा शाश्वता विश्वयोनिवितस्तु परिषद्भिश्चेतसा शारदायः । etc.
इति चंड मंत्रविहितं विधिवद्विधिमादरेण य इमं भजते स तु वांछितं पदमवाप्य पुनः शिवरूपतामपि परत्र लभते ॥
श्रीमत्पंडित etc.
इति श्रीमत्प्रौढप्रताप
संपूर्ण श्रीरामचंद्राय नमः
परशुरामप्रताप श्राद्धकाण्ड with
टीका
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229
परशरामप्रतापे मंत्रकर्ड
यादृशं पुस्तकं etc.
हस्ताक्षर केसो महादेवमेहेंदळे हरिहरेश्वरकरेण पुस्तकं लिख्यते शके १७०७ विश्वावसुसंवत्सरे श्रावणवद्यसप्तमी भृगुवासरे तहिनी पुस्तकं लिख्यते ॥ काले वर्षतु पर्जन्यो पृथिवी सस्यशालिनी देशोयं क्षोभरहितो ब्राह्मणाः संतु निर्भयः । श्रीपरशुरामाय नमः श्रीकृष्णाय नमः etc. Reference - - See No. 157 / Vis. I.
Parasuramapratāpa Śrāddhakāṇḍa with Commentary
246
Viśrāma (ii)
No. 789
Size - 15 in by 6g in.
Extent – 78 leaves; 12 lines to a page; 52 letters to a line. Description
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- Country paper; Devanāgari characters; handwriting good; two lines in red ink on either border ; topics, names of authorities quoted and the last colophon are tinged with red pigment; paper old worn out, musty, brittle and soaked in oil; parts of many leaves are broken ; foll. 1-2, 11-20, and 35-48 missing; incomplete.