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Jyotiga
कृष्णानंग १३ चतुर्दिनं रविशशिक्रांत्यो समत्वं खला
होरां रात्रिदिनार्द्ध के क्षयदिनं पित्रोनन्यावं ॥२ ।। etc. Ends - fol. 14a
- श्रीमत्कौशिकपावनो up to तीर्थसिद्धि ।। as in No. 717/1883-84.
इति श्रीमदनंताख्यचातुर्मास्ययाजिपुत्रनारायणविरचिते मुहूर्त्तमार्तडे ग्रंथाहंकारः॥
समाप्तोयं मूहूर्तमासंडः ॥ ग्रंथसंख्या श्लोक ४०० Reference - See No. 889/1891-95.
मुहूर्तमार्तण्ड
Muhūrtamārtanda
888 No. 915
1891-95 Size — 104 in. by 5 in. Extent-17 leaves%3 10 lines to a page%3; 28-30 letters to a line. Description -Country paper; Devanagari characters; old in appear.
ance; bandwriting clear and legible but not quite uniform ; borders of some folios ruled in double black lines; red pigment used for verse-numbers and colophons%3; edges worn out3B
incomplete. Age -Appears to be old. Author-Narayana. Begins - fol. 1a
॥ श्रीगणेशाय नमः अथ मुहूर्तमातंडमूलप्रारंभः॥ मातंडोवतु वाचंतः पादैर्जाउपतमोहरः॥ वृतबद्धतनुः सेव्योऽभीष्टदो विश्वलोचनः ॥१॥ सिंदूरोल्लसितमिभेद्रवक्त्रमंबां श्रीविष्णु वियतिचरान् गुरून्प्रणम्य ।।
बव्हर्थ विबुधमुदे लघु मुहुर्तमार्तडं सुगममहं तनोमि सिद्धयै १॥ etc. fol. 54 इति श्रीमदनंताख्यचातुर्मास्ययाजिपुत्रनारायणविरचिते मुहुर्तमार्तडे
संस्कारकरणं ॥ Ends abruptly -- fol. 170
क्रोधक्षौररतिश्रमामिषगुडधुतास्तु दुधासवक्षाराभ्यंगमया सि .........