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Vedāngais
Ends (Comm.)-fol. 350
एतदुपसंहरति ॥ संज्ञेति ॥ एतदुपयुक्तकलपाकशुष्ककजातकादिभ्यः संज्ञायाँ अध्याया। अधिपूर्वकादिङ अध्ययने धातोर्चचिरूपं ॥ ___ इति श्रीमज्ज्योतिर्वितिलकमिश्रदिवानंचदकृतसर्वार्थचिंतामणौ संज्ञाध्यायार्थावगति प्रथमा ॥ श्रीरस्तु ॥ संवत् एकोनविंशतिशताधिकचतुस्विंशतिमेन्दे लिखीतम् छ छ छ छ छ
साठिसंवत्सरी
Sāthisamvatsari (संवत्सरफल)
(Samvatsaraphala)
584 No. 1191
1895-1902 Size -91 in. by 4: in. Extent - 14 leaves; 13 lines to a page; 35–36 letters to a lines.
Description -Country paper: Devanagari characters with पृष्ठमात्राs%3B
old and blackish in appearance; handwriting clear. legible and uniform; borders ruled in triple red lines; red pigment used for marking the portion; blank space in the middle of folios; complete.
The Ms. contains the संवत्सरफलs of all the 60 संवत्सरs.
Age -Samvat 1703
Author-Durgadeva . Begins — fol. la
॥ॐ॥ पंडितश्री ... विमलगणि ...... (letters not legible) ............ ते सहात्मने।
टीकासारं प्रविक्षामि । संवत्सरेषु निश्चयं १ | etc. fol. 2a इति दुर्गदेवकृतं अर्धकांडविभवफलं ॥ Ends — fol. 140
... सं० १५६० वर्षे क्षयनाम संवत्सरे राहुस्वामी चैत्र इ गडापडसि वैशाषि उत्पात नवी मुंद्रा भाषाढि मरकी अतिवाउलिहोसि श्रीवणि मेघपाचसिचतुष्पदपीडा भाद्रवि अन्नसमता मासोइ मेह रोग हुसि । कार्तिक समता मागसिर रोग पोषि मेघवृष्टि भतिक्षयनाम संवत्सरफलं ॥