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( 2013 39, last but one line. On fol. 26, line 2 we read tigo: स्वर्गापवर्गविस्फारी चामत्योपस दरे भवरोगहरों पंछे चंडिकाचंद्रशेषरः ; This corrupt verse-is-identical with the first verse of #मक Ms. No. 202. It.contains Is chapters, called patalas
and the work seems. tp.end on-fol. 40: भter which some .:57 verses follow on duen which is followed by their exposi
stion in Hindi. AGE "Sapin. 1983. Author:- Nityanatha Siddha, son of Parvati. Begins:- fol. 10
श्रीगणेशाय नमः ॥ अजन्मपापकर्वहनैव वह्निना दारिद्र्यदूःखकरि दारुणसिंहरूपी मृत्युं जरा विषधरस्य तु बैनलेय तुभ्यं १ नमामि सरवंदित सूतराज
न निदानेन देन न भेषज्यशतैरपि कलनस्तशरीरस्य पास्को रक्षणक्षमा २ स्म ईनमाहारो जारणं द्वारणं तथा
रंजनं मारणं क्रांतं विज्ञेयादरकर्मणि ३.etc. Ends.--fol. 420
चावल १ तथा २ भर धरकुं उपर सौनाकी अयी के रणींजो धूम्र लगे तो फिर संपा का पत्र धर कुं.गजपुट आंच देणी तय सिद्ध होइ पाछै कस्तुरी त्रिकुटा कैसर बालुंगमेहलखाय मात्रा चावल २ भर खाय आगै मुहावै तो वधती ले क्षुधा दुगुणी होइ तृगुणी वीसही दुध पविगा मई वना रहै तेजवधे सत्यं इति श्रीपार्वतीपुत्र नित्यनाथविरचिते रसरत्नाकरसमाप्तं श्री पत्र ४२ श्री श्रीरस्तु कल्याणमस्तु श्रीवनेश्वराय नमः श्रीविश्वेश्वराय नमः संवत १९०३ माघ खुदी ५ बुधे ग्रंथ समाप्तं पुस्तक जगंनाथजीकी भीपीसमका
श्रीराम References.— See No. 202.
Rasáratnākara
No.: 200
628. 1895-1902.
Estonia - žġ leaves ; it lines to a “påge : so letters to a line.