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श्री महाहनुमंताय नमः ॥
गुरुचरणकमलमनघं प्रणम्य नागार्जुनप्रणीतायाः । विवृतिं विरच्य सरलां वक्षेहं योगमालाया । १ । विमतिकिरणनिकरं प्रभिन्नसच्छिष्य संकलसंघाताः । मदनेकनकप्रदीपं जयंति गुरुभास्करा भुवने ॥ २ ॥ etc. ' Ends — fol. 7b
Vaidyaka
1 Sis
अथादृशीकरणं कृष्णधंतूराने शनिवारें बंधन करानूंह तरीयें रविवारें सूर्योदयें लीज नग्न थइनें पछे ते घंतरकाष्ट सात आदित्यवारपर्यंत त्रिवटें चोवटानी भूमि मां डटीई पछें सातमें रविवारें ति हांथी लीमें लेईनें कृष्णचौदसिनी मध्यनिशायें श्मशानना वह्निथी बालीने रक्षा कीजें पछें ते रक्षा प्रथम प्रसूता स्यांमा गायनी घींमध्ये मशीनें नेत्रांजनकीजें तो अदृश्यकरण पुरुष होयें सत्यमेव थाई इणिं प्रकारिं नागार्जुनाचार्येण प्ररूपीता आश्र्चर्ययोगमाला । एमध्ये महामंत्रविद्या साधनतंत्रप्रयोग सर्व सत्यकरीनें लष्याछें । एवस्तु अगोप्य अगोचरथी राषवी कोईनें देषाडवी नहीं ॥ इति श्रेयः ॥ References. See No. 175.
योगरत्नमालाटीका
[174.
Commentary on Yogaratnamālā
947 (2).
1887-91.
No. 175
Size.— 87z in. by Sin.
Extent. -- 27 leaves; 19 lines to a page; 24 letters to a line.
Description.← Country paper ; Sarada characters; hand-writing dog very good ; paper is of thin veriety. The Ms. contains only the commentary of Guṇakara, who was a Śvetambara Jain, on Yogaratnamālā or Aścaraymālā. According to Aufrecht this comm. was composed in 1240 A. D. The date given in the concluding portion of our Ms. is Vikrama Sam. द्वादशनवर्षाषृि: which obviously is a mistake for द्वादशनवपतिः = 1296 = 1240 A. D. The date of copying the Ms. is 20 = Sastr : 1701 1645 A. D.
Age.--- ( Saptarşi Sam ) 20 = 1645 A. D.