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Vedanta
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विद्योपदेशविधिः समाप्तः ॥ श्री ॥ संवत् १७८४ वर्षे आसाढमासे कृनपक्षे चतुर्थितिथौ सोमवासरे श्रीभुजनगरमध्ये राउ श्री ५ देशलजीविजय राज्ये महाविद्यामुक्तिदायिनी ॥ ॥ श्री ॥ गुरवो बहवः शंति शीशदित्तयहारका । शदगुरू ज्ञानमूरतीस्य शीशशंतायहारकः संक्षेपतवेदातना पत्र २१ छे
अज्ञानबोधिनी
No. 4
Author:—Sañikarācārya.
Begins. fol. 14 :
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Size. 4 in. by 37 in.
Extent. - 35 leaves ; 14 lines to a page ; 15 letters to a line. Description.-Country paper of greyish appearance; Devanagari characters; handwriting bold and legible; borders ruled with double black lines ; leaves numbered from 1 to 36, with folio 35 missing ; fol. 34b ends " अनिष्यफलतां दर्शयति"; fol. 364 begins “गामीनां ॥ ; at places there is careless writing.
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Age.—Fairly old.
Ajñānabodhini
597.
1884-87.
Ends. fol. 36a :
श्रीगणेशाय नमः । श्रीपरमात्मने नमः ॥ ॐ तत्सत् ज्ञानात्मने नमः ॥ चित्सदानंदरूपाय etc.
यस्य देबे परा भक्ति ॥ यथा देवे तथा गुरौ ॥ तस्यैते कथिता ह्यर्था । प्रकाशंते महात्मनः इति श्रुते ॥ छ ॥ इति संक्षिप्तवेदांतशास्त्रप्रक्रिया ॥ श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्य - श्रीमछंकराचार्य कृत बहिर्मुखांतः प्रवणमज्ञानबोधिनी || अध्यात्मविद्योपदेशविधिः समाप्तः ॥ नारायणेन लखित्वा शीष्यो न दातव्यं ॥ श्री ॥ र ॥ स्तु || मामांस सांख्यकर्ममंते ॥ न्याय संख्य विशेषिकपरमाणः पातांजल महत्तस्व ।। प्रधानबोधकसंख्य ॥ वेदांत
इश्वर ॥
fol. 36b : ॥ संक्षिप्तवेदांतशास्त्र पद्धति ॥
भवानीशंकरसुत.... भदनु पुस्तक | (in a different hand).