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Age
Author
Begins
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B. Grhya and Other Works
155
legible; borders ruled in triple red lines; red pigment used for marking; edges worn out; foll. 24-35 torn; the Ms. contains Prapāthakas 1-4.
Samvat 1752
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Gobhila
- fol. 16
॥ ॐ नमः ॐ ॥
अथातो गृह्याकर्माण्युपदेक्ष्यामो etc as in No. 93 1879-80
fol. 10 इति प्रथमः प्रपाठकः ॥
fol. 194 इति द्वितीयः प्रपाठकः ॥
Ends - fol. 36a
use भवत्याचार्य ऋत्विक् स्नातको राजा विवाह्यः प्रियो तिथिरिति परिसंवत्सरानर्हयेयुः पुनर्यज्ञविवाहयोश्च पुनर्यज्ञविवाहयोश्च ॥ १८ ॥
इति गृह्यसूत्रे चतुर्थः प्रपाठकः ॥
इति छांदोग्यगृह्यसूत्र समाप्तः ॥ मंगलमस्तु ॥
॥ स्वस्ति श्रीसंवत् १७५२ ना वर्षे भाद्रपदमासे शुक्लपक्षे पंचम्यां तिथौ भोमवारे लिखितं । शुक्कु श्री५ शवजी तथा शुक्ल० श्री ५ वीरासुतचतुर्भुजेन लिखितं । श्रीरस्तु ॥ श्रीः ॥
On fol. 36b we have :
॥ शुक्लं देवेंद्रात्मज शुक्र० सोमेश्वरसुत शुक्ल बालमुकुंद आत्मज शुक्लनंदकेश्वरने हरिभक्तियोस्तु शिवसानकुलहोन्यासकृष्णजी स्वामिनि कृपा ॥ ॥ ब्रह्मा विष्णु रुद्र |
गोभिलगृह्यसूत्रटीका called सुबोधिनी
No. 589
Size - 10g in. by 54 in.
Extent - 35 leaves; 10 lines to a page; 32 letters to a line.
Description
Gobhilagṛhyasutraṭikā called Subodhini
46
1881-82
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Country paper; Devanagari characters; old in appearan ce; handwriting clear, legible and uniform ; red pigment used