________________
1175]
The Digambara Workce
297
चंद्रप्रभु ८ सुविधि ९ सीतलजिण १० श्रेयांस ११ यास. पुज्य १२ जिन सुरमणि विमलप्रभू १३ गुणवासः etc. संभूम भने ब्रह्मदत्त सत्तम निरय निरत्तः भाठतया सिव गामी: ते प्रण सिर नामी ८ मुनिवर आर्य सुहस्ति ९० पहिलो त्रिपृष्ट जाणः द्विपृष्टि दूसरो ती जो स्वयंप्रभू जांणी यै ए:
पुरुषोतम ए चौथ पंचम परगडौ पुरुषसिंहप्रमाणी ये ए etc. Ends - fol. 3b
तीन चक्र व्रत तणा टाली दीसै जिसैः माय सहूनी तीथई साटलेषे इसैः । एह नररयण नौ ध्यान नित जे धरे तेह सुरपद लही मोक्षपदवी वरेः १७ कलसः इम(व)काण्याः तीर्थकर स्व( च )कीसर वासदेव बलदेव ए प्रतिवासदेव सुसेव जे करें सुरनर सेव ए:
सट्ट सलाकापुरुष उत्तमः जगतजयवंता सदाः प्रहसमें तेहना चरणपंकज नमें मुनि वसतो मुदा ॥ १८ ॥ इति तेसठसलाकापुरषविचार । संपूरणं ।।
लिषतं भाइ ५० महिमासोभाग्यजी । लघूभाई मोतीचंद
'सिव'मध्ये । संवत १८७७ का ती सुदि १५ दने श्री Reference - For a work having their very title and dealing with the
same subject but composed in Prakrit in 34 gātbās see B: B. R. A.S. Vols. III-IV, p. 438.
थावच्चासुतचरित्र
Thāvaccāsutacaritra
1620 No. 1175 (= 272 b)
1891-95 Size - 10 in. by 4t in. Extent - 20 folios; 13 lines to a page; 38 letters to a line.
Description-Country paper thin, tough and white; Jaina Devanagari
characters; big, quite legible, uniform and good hand-writing;
borders ruled in two pairs of lines and edges in one pair, in ...38 [J. L.P]