SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 249
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ jaina Literature and Philosophy (1119 सिधिपुरीसिधनकौ थान ॥ सिघपुरी भानंदनिधान । प्रगट जाति त्रिभुवनमैं माहि ॥ भलषदेवकौलषैमताहि ॥ Ends - fol. 1316 उप्र मोपरिरंचदुर्गमगढ़ रत्न व भूक्षतं । जंधीरं ऋतिर्मवर मदगलं पाषानरावतं । नमधे श्रीनामसिंहधियते भूलोकबरबंदिते ॥ तनराज्यं सुरनायतुल्यगदितं तत् केन संवर्तते ? ॥ १० ॥ सुजसलहरजुत कुसलो नामेन चंदनयं ॥ तत्पुत्रो गुरुरांमदास विपुलं ॥ भुक्तं त भोग्यं सदा ॥ तत् श्रनुकलदीपकस्तु प्रगटनामासकरणे सुभं ॥ तत्पुत्रं परिमल्ल धर्मसदनं ग्रंथं इदं क्रीयते ॥ १०१॥ दोहा ॥ चौपई ॥ गोवरि गिर गढ उतम थान ।। सूरबीर तहां राजामांन । ता मागें चांदन चौधरी । कीरति सब जगमैं विसतरी ॥२॥ जातिव रहिया गुन गंभीर ॥ अति प्रतापकुल राजै धीर । ता सुत रामदास परवीन ॥ नंदन आसकरन सुभदीन ॥३॥ ता सुतकुलमंडनपरिमल्ल ॥ बसै ‘भागरे 'मै भरिसल्ल ॥ ता सम बुधिहीनं नहीं मान ॥ तिन सुनियों श्रीपालपुरांन ॥ १०४ ॥ ताकी छाय कछू मति भई । तब श्रीपालकथा वर नई ।। कीनी चौपई बंधनषांन ॥ नवरसमिश्रत गुनह निधान ॥५॥ होय मसुध जहां पदहांनि । फेरिस वारो कवियन जान बार वार जंप कर जोरि ॥ बुधजन मोहि देह मति षोरि ॥६॥ इति श्रीश्रीपालचरित्रजी संपूर्णम् मीति भादवासुदी २ संमत् १८८५ का दस कपनां लालसाहकी दिव । ग्रीमधलिषी लिषाई गोगराजजी गोदीका ॥ श्री श्री श्री श्रुतस्कन्धविधानकथा Śrutaskandhavidhānakathā 634 (1) No. 1119 1875-76 Extent -fol. 29b to fol. 30b. Description - Incomplete as it ends abruptly. For other details sco Candanaşastika.
SR No.018112
Book TitleDescriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 19 Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Rasikdas Kapadia
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1988
Total Pages328
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy