SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 282
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ VIII ] Miscellanea नवकार = नवक्कार = नुकार = नो पुकार = पश्ञ्चपरमेष्टिमन्त्र = परमेष्टिमन्त्र=पश्च मङ्गलसुयकूखन्ध पश्चकप्प = पश्चकल्प = पणकप्प पडिकमणासूत्र = पडकमा (म) सूत्र |पण्णत्ति = भगवई = भगवती = विवाह = विवाहवण्यत्ति = विवाहप्रज्ञत्ति = विवाहप्रज्ञाप्ति पण्णवणा = पनवणा = पनवणा = प्रज्ञापना पिण्डनिज्जुत्ति = पिण्डनिर्युक्ति भक्तपरिज्ञा = भत्ऩपरिन्न (ना) भागवत = भागवय महलयाविमाणपविभत्ति = महल्लिपाविमाणपविभत्ति महाकप्पसुअ = महाकप्पा ( प ) सुय महाणिसीह= महानिशीथ = महानिसीह महापण्णवणा = महापनवणा महासुमिणभाषणा = महासुविणभावणा राजप्रश्नीय = रायप सेणिय वइसेसिय= वैशेषिक वहीदसा = वन्हि ववहार = ववा (ब) हार = व्यवहार = व्यवहारसूत्र शक्रस्तव = शक्रस्तवन =सक (क्क) त्थअ = सक्कत्थअ = सक्कत्थय षष्टितन्त्र = साट्टतन्त सङ्ग्रहणी = = स (ग्रहणी समुट्टाणसुअ = समुद्राणसुत=समुट्ठाण सुय सुत्तकड - सूतगड = सूपकड - सूयगड सूरपण्णत्ति = सूरपन्नति (त्ति) = सूर्यप्रज्ञत्ति (i) Miscellanea · अङ्गरेच (सरकार) I-255, 22 अणुराहा (नक्षत्र) IV - 41, 25 अणुह (ट्टु ) स (भ) ( metre ) II-327, 30 अनुष्टुभ् ( metre ) I-197, 13; 198, 19, 200, 26; 342, 22; II - 105, 11; 112, 4; 191, 4; 334, 24; III-22, 7; 32, 7; 36, 15; 187, 21; 225, 8; 227, 10; 228, 19; 230, 11; 296, 32; 383, 19; 431, 5; IV-16, 10; 108, 31; 171, 18 251 अदुःखदर्शिनी ( कथा ) III - 266, 17; 269, 4 अदुःखदर्शिनी ( penance ) III-272, 29 अदुःखदर्शिनीय III-266, 10; 268, 6
SR No.018111
Book TitleDescriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 17 Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Krishna Gode
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1954
Total Pages330
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy