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Jaina Literature and Philosophy
[ Appendix
विणयमुअ (s. I of Uttarajjhayana) III-67, 4. See विणय (p. 245). विद्यावाद (? पूर्व ) III-185, 9 विधिकौमुदी III-296, 4-5 विधिप्रपा IV-241, 19 विनयश्रुत (s. I of Uttarajjhayana ) III-58, 6. See विणय (p. 245). विनयाध्ययन III-30, 15; 82, 16 विमाणपविभात्ति II-293, II विवक्कचरिया (appendix II of Dasaveyaliya) III-I15, 22. See
विविक्तचर्या (p. 246). विव वि)क्तचर्या III-126, 16-17 विवागमय II-292, IS विवाह II-38, 19. See पण्णत्ति (p. 241 ). विवाहचूलिया II-38, 21; 293, II; III-513, II विवाहपण्णत्ति 1-319, 11; II-292, 13. See पण्णत्ति (p. 241 ). विवाहप्रज्ञप्ति I-358, 22 विवाहप्रज्ञाप्ति I-92, 27 विविक्तचर्या ( appendix II of Dasaveyaliya). III-123, 31-32. See
विञ्चि(वित्तक्त)चर्या (p. 245). विशेषचर्णि (of Nisiha?) II-233, 20; 237,43 243,8 विशेषावश्यकवृत्ति IV-196,5 विससियावि(ब)स्सय II-270, 14 विहारकप्प II-293, 4-5 वीयरायसुय II-293, 4 वृहत्कल्पवृत्ति See बृहत्कल्पवृत्ति (p. 213). वृहद्वृत्ति (of उपसर्गहरस्तोत्र ) III-190, 12 वेय ( non-Jaina ) II-292, 25 वेलन्धरोववाय II-38,233 293, 133; III-513, 12
समोववाय II-293, 12-13 III-513, 12 वेसिय II-292, 22 वैशेषिक (मत) I-78, 17 वैष्णवी (स्मृति) II-166, 16 व्यवहार II-267, 5; 289, 8. See ववहार ( p. 245). व्यवहारसूत्र II-239, 12 व्याख्यानदीपिका III-301, 25 व्रतदुर्लभता (s. III of Pravrajyavidhānavivrti) IV-208, 1 वतनिर्वाहण (s. VII of Pravrajyavidhānavivrti ) IV-209, 12
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