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VIII 7
Works and their Sections
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प्रवचनमातृ (s. XXIV of Uttarajjhayana ) III-30, 20 प्रवचनसारोद्धार IV-78, 1-2; 241, 32 प्रवचनसारोद्धारवृत्ति IV-108, 23 प्रव्रज्याविषय (s. Vof Pravrajavidhānavivrti) IV, 209,6 प्रव्रज्यास्वरूप (s. IV of Pravrajyavidhānavivrti ) IV-209, 3
JFH219 ( s. XVI of Uttarajjhayaņa ) III-57, 28 बहश्रुत (s. XI of Uttarajjhayana ) III-30, 25 बहुसुअबु(पु)ज्ज III-67,6 बहुस्सुय III-57, 27 बार्हस्पती (स्मृति) II-166, 18 " बुद्धवयण II-292, 22 वृहत्कल्पवृत्ति III-126,1 बृहद्वत्ति ( of दसवेयालिय ) III-112, 23 बोधि रत्न)दुर्लभता (s. II of Pravrajyavidhānavivrti ) IV-208, 29 ब्रह्मचर्य (s. XVI of Uttarajjhayana ) III-30, 30
भक्तपरिज्ञा I-276, 17; 278, 27. See भत्तपरिन्नन्ना) (p. 243 ). भक्तामर I-337, 3I भगवई I-104, 26; 105, 20; 109, I. See पण्णत्ति (p. 241 ). भगवती I-100,1; IOI,5; 103, 21; 109,3; II-142,30; IV-158, 14 भत्तपरिन्न(न्ना) IV-222, 21-22. See भक्तपरिज्ञा (p. 243). भागवत II-131, 30 भागवय II- 292, 23 भारह II-292, 20 भाष्य (of बन्दिनुसुत्त) III-295, 18 भाष्य II-100, 8 भीमासुरक्ख II-292, 20
मण्डलपवेस II-293, 2 मरणविभत्ति II-293, 3-4 मरणसमाहि IV-222, 23 महलयाविमाणपविभत्ति III-513, I0 महाल्लयाविमाणपविभत्ति II-38, 20-21; 293, 10-JI
महाकप्पसुअ I-321, 9 र महाकप्पा(प्पोसुय II-270, 26-27; 292, 30