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Jaina Literature and Philosophy
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रत्नहर्ष (वाचक) (guru of सहजकीर्ति ) II-124, 29 १. रमा ? I-5, 34
रविगुत्त ( pupil of जसवद्धण) II-33, 9 रविप्रम (successor of जयानन्द ) I-338,3; II-173,8 राजचन्द्रगणि (guru of जयनिधानगणि ) III-19, 25 राजमेरुगणि ( pupil of राजवर्धनगणि ) II-189, 21 राजलक्ष्मी (गाणिनी) (guru of पुण्यशोभा गणिनी) III-28, 43; 28, 5 राजलक्ष्मी (प्रवर्तिनी) (c. Samvat 1532) III-383, 22 राजवर्धनगणि ( pupil of अभयचन्द्र & guru of राजमेरुगणि) II-189, 21 राजविजय (c. Samvat I9II ) III-191, II राजसागर (c. Samvat ITIH) I-354, 27 राजसागर (भट्टारक) (successer of विजयसेन सूरि ) II-156, 18; 295, 4
(predecessor of वृद्धिसागरसूरि) राजेन्द्रचन्द्रसूरि (vidyaguru of तरुणप्रभरि ) III-352, 9; IV-59, 1 रामजाजी (guru of वीरजी) I-268, 30 रामविजय (guru of विजयविबुध) II-145, 25 रामविजय ( pupil or devotee of विजयसेनसूरि ) III-230, 15;461, 25 रामविनयजी (guru of पुण्यशीलगणि ) II-218, II रोहगुत्त (the 6th schismatic ) (c. I7 A. D.) IV-159, 24
लक्ष्मीकीर्ति (पाठक) (guru or लक्ष्मीवल्लभ ) II-172, 21 लक्ष्मीभद्र (corrector of अर्थदीपिका ) III-296, 29 लक्ष्मीभुवनगणि ( pupil of कुशलमुवनगाण ) 1-378, 29
लक्ष्मीरुचि (guru of विजयकुशलगणि) I-104, 28 : लक्ष्मीविजय ( pupil of अमृतविजय & guru of जीवविजय ) III-363, 4
लक्ष्मीविजयगणि III-341, 24 लक्ष्मीविनय (guru of रत्नसार ) II-124, 25 लक्ष्मीसागरसूरि (pupil of सोमसुन्दरसूरि & successor of रत्नशेखरसूरि )
1-35, 173 184,33339, 223 390,4; III-263, 24, 264, 20%; - 266, 30; 269,16 लक्ष्मीसागरसूरि (guru of ज्ञानहर्षगणि ) III-81, 17-18 लन्धि (साधु ) (c. Sarmvat 1607 ) I-320, 22