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Nataka
[ 227.
followed by एवमस्त्यिति निष्क्रांताः सर्वे षष्ठोंकः ॥ समाप्तमिदं वेणीसंहार नाम नाटकं ॥ शुभं भवतु ॥ संवत् १८५८ सन १२०८ कुआर(?) वदी २ सकः जादसं पुस्तकं दष्ट्रा तादृशं लिष्यतं मया अतिसुधममसुधन च वा म दोस न दीयते ॥ रामसरनकाएस्थ ॥ जैतपुरामे वागे स्वरिभवानिजिको निकट
शुभा श्रीरामचंद्राय नमः ॥ References.-See No. 223.
वेणीसंहार
Venisarnhāra
214. No. 227
Visrāma (i). Size.-137d in. by 4g in. Extent.- 47 leaves; 9 lines to a page; 50-52 letters to a line. Description.-Modern paper with water-marks; Devanagari cha
racters; handwriting small but beautiful, clear, legible, and
uniform ; borders ruled in double red lines; complete. Age.- A modern copy, Author.- Bharra Narayana. Begins:-fol. "
श्रीगणेशाय नमः । श्रीसरस्वत्यै नमः॥
निषिद्धैरप्येभि etc. as in No. 223 . . fol. 7 प्रथमोंकः ।
fol. 13 द्वितीयोंकः ॥ Ends.- fol. 47
तथापि etc. up to प्रसाधितमंडल: as is No. 223 followed by ॥ कृष्णः॥ एवमस्त्विति निष्क्रांताः सर्वे षष्ठोंकः ॥ मुगराजलक्ष्मणभट्टनारायणकृतं चेदं ॥ ॥ वेणीसंहारनाटकं संपूर्ण ॥ श्री
कृष्णार्पणमस्तु । References.-See No. 223.