________________
Vedangas
शोध वेदशरभू १५४४ गणिते तपस्ये मायुज्वले दल इनस्य तिथौ हि काश्यां टीका विनिर्मितिजपुण्यफलार्पणेन भूयाद्वणाधिपतिरिष्टफलप्रदो मे ॥ ९ ॥
इति श्रीविद्वद्देवज्ञमुकुटालंकार श्रीनीलकण्ठज्योतिर्वित्सूनुगोविंदज्योतिर्विद्विरता रसालाभिधा संज्ञाविवेकवृतिः समाप्तिमगमत् ॥ श्री ॥ श्रीः ॥
ताजिकनीलकण्ठी ( संज्ञाविवेक )
with रसाला
No. 598
Size - 92 in. by 6in.
Extent -
Description
Ends
Age-- Appears to be old.
Author - Govinda.
Subject
Jyotiṣa.
Begins
-
32 leaves; 15 lines to a page; 25-28 letters to a line.
Thick ountry paper; Devanagari characters; old in appearance; handwriting clear and legible but not quite uniform; borders of some folios ruled in single black lines; red pigment used for marking; foll. 2, 3, 4, 5 missing; first folios torn; similarly foll. 7, 8, 9 torn; incomplete.
Tājikanilakanthi (Samjñāviveka ) with Rasālā
- fol. 16
॥ श्रीगणेशाय नमः ॥ श्रीवरदमूर्तिज्जयति ॥ हृदि चंद्रिकांबाम् ॥ समाफलस्य प्रविचारणाय गोवि
*****......
- fol. 36a
857
1887-91
***...*.*.........
॥ श्री ॥ दैवज्ञाग्नियनीलकंठ विदुषः श्रीचंडिकायास्तथा पुत्रेणाहिगवीप्रसारितधिया नव्याब्दतंत्रस्य हि ॥ गोविन्देन विनिम्मिते नयनिधौ दिव्ये रसालाभिधे व्याख्याने समभूदरिष्टशमनोऽध्यायः कु ... योगयुक् ॥ १ ॥