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Upanigads
1775. Description - See No. 139 (I) (1)/1879-80; Mundakopanisad; ' Begins — fol. 19a
* शौनको ह वै महाशालागिरसं भगवंतं पिप्पलादं पप्रच्छ दिव्ये
ब्रह्मपुरे संप्रतिष्टिता भवंति कथं सृजति etc. Ends fol. 210
भात्मविद्यातपोमूलं तद् ब्रह्मोपनिषत्परं तब्रह्मोपनिषत्परमिति ॥ इति अथर्ववेदे ब्रह्मोपनिषत्समाप्तः॥५॥
ब्रह्मोपनिषद्
Brahmopanişad
328 (10) No. 776
1883-84 Size - 91 in. 4} in. Extent - 270 to 300 leaves; 8 lines to a page; 30 letters to a line. Description – See No. 328 (1)/1883-84; Mundakopanisad. Begins — fol. 270
शौनको ह वै महाशालोगिरसं भवावंतं पिप्पलादं पप्रच्छ दिव्ये ब्रह्मपुरे
संप्रतिष्टिता भवंति कथं सृजंति etc. Ends - fol. 300
मात्मविद्यातपोमूलं तब्रह्मोपनिषत्परं तब्रह्मोपनित्परमिति ॥३॥ तृतीत खंडः ॥
इत्यथर्वदेदे ब्रह्मोपनिषत् दशमः समाप्तः ॥१०॥
49 (3)
ब्रह्मोपनिषद्
Brahmopanișad No. 777
1887-91 Size - 10} in. by 4} in. Extent - 30 to 6a leaves; 10-12 lines to a page; 35 letters to a line.. Description - See No. 49 (1)/1887-91; Sarvopanisad. Begins -fol.30
ॐ अथास्य पुरुषस्य चत्वारि स्थानानि भवंति। नाभिहदयकंठमूदेति तत्र चतुःपादं ब्रह्म विभाति etc.