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759.]
Upanişads ब्रह्मविद्योपनिषद्
Brahmavidyopanisad No. 758
__42(5)
1892-95 Size -94 in. by 4g in. Extent-160 to 160 leaves%3; 10 lines to a page; 32 letters to a line. Description - See No. 42 (1)/1892-95%; Mundakopanisad. Begins - fol. 164
___ॐ ब्रह्मविद्या प्रवक्ष्यामि सर्वज्ञानमनुत्तमं ।
यत्रोत्पत्तिलयं चैव ब्रह्मविष्णुमहेश्वरात् etc. Ends -- fol. 160
यस्मिन्संलीयते शब्दस्तत्परं ब्रह्म गीयते। ध्रुवं हि चिंतयेद् ब्रह्म सोमृतत्वाय कल्पते सोमृतत्वाय कल्पत इति॥ इति ब्रह्मविद्योपनिषत्समाप्ता॥
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ब्रह्मविद्योपनिषद्
Brahmavidyopanisad No. 759
_29 (8)
1884-86 Size - 9 in. by 4 in. Extent -- 10a leaves; 11 lines to a page; 30 letters to a line. Description-See No. 29 (1)/1884-86%3 Garudopanisad (Vol. I,
Pt. I, p. 198). Begins - fol. 10a
ॐ ब्रह्मविद्योपनिशद लिख्यते ॥ ॐ प्रसादांतसमुत्थस्य विष्णोरद्भुतकर्मणः ।।
रहस्यं ब्रह्मविद्यायां ध्रुवाग्निः संप्रचक्षते ॥ etc. Ends -fol. 10a
कांस्यघंटानिनादस्तु यथात्परं ब्रह्म गीयते ।। ध्रुवं हि चिंतयेब्रह्म सोमृतत्वाय कल्पते सोमृतत्वाय कल्पत इति ॥ इत्यर्थवेदे ब्रह्मविद्योपनिषद समाप्तः ॥