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U pani sada
11038
सावित्र्युपनिषद्
Săvitryupanişad
3(31) No. 1038
1902-1907 Size -12 in. by 51 in. Extent-1ato1b leaves,13 lines to a page345 letters to a line. Description - See No. 3 (1) / 1902-1907 : Annapūrņopanisad. (Vol.
_I, Pt. II, p. 38). Begins — fol. la
श्रीगणेशाय नमः॥ ॐ श्रीमद्विश्वाधिष्ठानपरमहंससद्गुरूरामचंद्राय नमः॥ सावित्र्यात्मा पाशुपतं परं ब्रह्मावधूतकं ॥
त्रिपुरातपनं देवि त्रिपुराकहोवना ॥etc. Ends - fol. 10
एवं विद्वन्कृतकृत्यो भवति सावित्र्या एव सलोकतां जयतीत्युपनिषत् ।। सावित्र्युपनिषत्समाप्तं ॥ ७५॥
सीतोपनिषद्
Sitopanişad
487 (44) No. 1039
1882-83 Size -98 in. by6 in. Extent-1b to 3a leaves; 16 lines to a page; 32 letters to a line. Description - See No. 487 (1)। 1882-83%; Isavasyopanisad. (Vol. I, ... Pt. II, p.88). Begins - fol. 16
ओं श्रीमद्विश्वाधिष्ठानपरमहंससत्गुरुरामचंद्राय नमः॥ भद्रं कर्णेभिरिति शांतिः ॥ देवा ह वै प्रजापतिमब्रुवन् का सीता किं रूपमिति स होवाच अजापति
स्सा सीता इति मूलप्रकृतिरूपत्वात् सा सीता प्रकृतिस्मृता । etc. Ends - fol. 3a
दिग्यसिंहासने पद्मासनारूढा सकलकारणकार्यकरी लक्ष्मिदेवस्य पृथक् भवनकल्पना अलंचकार स्थिरा प्रसंनलोचना सर्वदेवतैः पूज्यमाना वीरलक्ष्मीति विज्ञायतेत्युपनिषत् ॥