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Upanişads
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31 Atharvapatapaniyopaniad 45a to 45b
3rd Upanişad , 4th Upanişad __45b to 47a
.. 5th Upanisad 47a to49a 34 Nrsimhottaratapaniyopanisad 35 Atharvavallyupanisad
57b to 63a 36 Kenesitopanisad
63a to 64a 37 Narayanopanisad
64ato640 38 Mahānārāyanopanisad 64b to74a 39 Sarvopanisatara
74b to75b 40 Hamsopanisad
75b to 76b 41 Paramahamsopanişad
76b to 77a 42 Siksopanisad
77b to 80a 43 Anandabrahmavallyupanisad 80a to 820 44 Bhrguvallyupanisad
82b to 84a 45 Garudopanisad
84ato 84b 46 Kalagnirudropanisad
84b to 85a Age - Samvat 1740. Begins - fol. 16
॥ श्रीगणेशाय सञ्चिदात्मने नमः॥ ॐम् ॥ ब्रह्म देवानां प्रथमः संबभूव विश्वस्य कर्ता भुवनस्य गोता।
स ब्रह्मविद्यां सर्वविद्याप्रतिष्ठामथर्वाय ज्यष्ठपुत्राय प्राह| etc. Ends - fol. 46
तदेतदृचाभ्युक्तं । क्रियावंतः श्रोत्रिया ब्रह्मनिष्ठा स्वयं जुव्हत एकर्षिश्रद्धयंतः। तेषामेवैतां ब्रह्मविद्यां वदेत शिरोव्रतं विधिवयैस्तु चीर्ण ।।
तदेतत्सत्यमृषिरंगिराः पुरोवाच नैतदचीर्णवतोधीते । नमः परमर्षिभ्यो नमः परमर्षिभ्यः ॥छ ।
इति मुंडकोपनिषत्समाप्तः ॥१॥
मुण्डकोपनिषद्
Mundakopanişad
18(1) No. 832
1916-18 Size -93 in. by 58 in. . Extent- 10 to 6b leaves; 11 lines to a page; 25 letters to a line,
13 [Upanisads]