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Jaina Literature and Philosophy
(b ) non-metrical ( 3 )
2. प्रश्नव्याकरण-वृत्ति
3. श्रीपाल चरित्र
4. संसारदावानलस्तुति-वृत्ति
(B) Gujaratī [ 15 + 12 = 27 ]
(a) metrical ( 15 )
5. अशोकचन्द्र - रोहिणी - रास
6. कल्पव्याख्यान
7. कल्याणमन्दिरस्त्रे । गीतसङ्ग्रह
8. गणधरस्तव - देववन्दन 9. चोबीसी
10. जम्बूरास
11. तीर्थमाला
12. दीपोत्सवी - देववन्दन
13.
पन्दरतिथि - अमावास्या - स्तुति सङ्ग्रह
V. S. 1745
14.
बारव्रत ग्रहण ( टीप ) शस
15.
मौनैकादशी - देववन्दन
16. रणसिंह - राजर्षि - रास
17. साधुवन्दना
18. ' स्तवन सङ्ग्रह : शान्तिजिनस्तवन
19.
V. S. 1774
V. S. 1738
V. S. 1755
V. S. 1750
t 312.
V. S. 1728
(V. S. 1736) etc.
स्वाध्यायसङ्ग्रह : अङ्गोपाङ्गस्वाध्याय, आठगुणस्वाध्याय, चरणसप्ततिकरण सप्तति-स्वाध्याय, दशविश्वपतिधर्मस्वाध्याय, नरभवदृष्टान्तस्वाध्याय ( earlier than V. S. 1734 ),
पञ्चनमस्कारस्याध्याय etc.
1" A number of Gujarāti stavanas, stutis, svādhyāyas (sajjhhyas) and padas is published in "प्राचीन स्तवन रत्नसङ्ग्रह " ( pt. I ). Here a life-skotoh of the author is given.
2 A list of the published svadhyayas is given in Jaina Gurjara Kavio (Vol. II, p. 835 ).