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The Svetāmbara Narratives Begins.- fol. ! नमः ॥हा॥ ..
_ आठ महासिाद पामिहं समरे जेहने नामि ....... प्रणहुं जिनवर आठमो श्रीचन्द्रप्रमस्वामि । १॥
गोयम गणहर पाए नमी समरीःशारद माय
सहि गुरु वंदी वर्णतुं अजापुत्र नरराय ॥२ etc. Ends.- fol. 13
देह बेटाने राज्य सीप अजापुत्र राईलीधि दीप्य विक्षा पालि मनि सिद्धि देवलोकनि पोमिओसिद्ध ७६ 'पूनिम' पक्षि करें जयकार श्रीगुंणधीरसूरिपाटशृंगार भीसौभाग्यरतनसर्गस मुनिवर धर्मदेव तेहनो सीस ७७ संवत पनर एकस (१५६१) नामि रहिया चउमासि ते 'सीणी' प्रामि श्रीचंद्रप्रभस्वं(स्वा)मीचरीत्र पांच्यु चउमासी पुस्तक तत्र ७८ अजापुत्रनी कथा रसाल तमु धरि भाषी छै सविशाल तिहां तणो श्रीसंघ सजांण विनवे तेहतुं संणी वषांण ७९
ललित आंणी 'चुपईबंध एह कथानो कयों प्रबंध धर्मदेव पंडित कों प्रबंध माहिं आंण्यो , सर्व संबंध ८० प्रबंध नाह्वानो कयों आक्षेप कांइ नधि कीधो वर्णनक्षेप तो हवे चउपाईसंख्या मिली त्रिण से ने न्यासी (३८२) बली ८१ प्रबंध अजापू(पु)त्र भूपति तणो उपम आंणी भवीयण भणो भणता होइं निर्मल बुद्धि भणतां होई मंगल रिदि ८२
इति श्रीअजापूत्रनो रास संपूर्ण ॥ संवत् १९२६ ना वेशाप बवि ७ Reference.- For an additional Ms, and extracts therefrom see
_Jaina Gurjara Kavio ( Vol. I, pp. 08-109).
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अजापुत्रकथा
Ajāputra katha विवरण सहित
with vivarana 25
1570. No.8
1891-95. Size.- 9 in. by 4; in. Extent. — 30 folios ; 12 lines to a page ; 38 letters to a line. Description.- Country paper thin, brittle and very greyish in 30
colour; Devanagari characters with very rare पृष्ठमात्राs%3 bold, legible, uniform and big hand-writing ; borders
trebly ruled in black ink; edges of several foll. worn out; [J.L.P.]